दिल धड़कने का सबब

दिल धड़कने का सबब


ख्वाबों में किसी का यूं आना
आकर के फिर यूंही शरमाना
गालों की सुर्खियों पे हया की लाली
दिल धड़कने का सबब काफी है।

वो जो आएं हमारी महफिल में
और आकर भी रहें खफा खफा
नजरें मिला कर सिर्फ सवालात करें
दिल धड़कने का सबब काफी है।

मेरे कांधे से लिपट कर रोना उसका
बेसबब ही मुझ में सिमटना उसका
फिर ये कहना इश्क नहीं है तुमसे
दिल धड़कने का सबब काफी है।

कभी कभी बेबात ही खफा होना
ना मानना और ना ही जुदा होना
ये इश्क की सारी अदाकारी है
दिल धड़कने का सबब जारी है।।

आभार – नवीन पहल –०९.०८.२०२३ ❤️❤️

# आधे अधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियां प्रतियोगिता हेतु 




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2 Comments

सुन्दर सृजन

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Varsha_Upadhyay

09-Aug-2023 12:09 AM

शानदार

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